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स्वामी स्वरूपानंद का चिन्मय डिग्री कॉलेज में आगमन,
हरिद्वार।
चिन्मय डिग्री कॉलेज एवं चिन्मय मिशन स्वामी चिन्मयानंद जी का 108 वीं जयंती वर्ष मना रहा है। इस श्रृंखला में चिन्मय मिशन के ग्लोबल हेड स्वामी स्वरूपानंद तथा उनके साथ ब्रह्मचारी दर्शन , देहरादून चिन्मय मिशन के स्वामी यतीश्वरानंद , रुड़की एवं सहारनपुर चिन्मय मिशन की ब्रह्मचारिणी सुदीप्ति और ब्रह्मचारिणी सत्या जयंती समारोह में चिन्मय डिग्री कॉलेज में उपस्थित हुए।
इस अवसर पर स्वामी स्वरूपानंद ने कहा कि मन ही मनुष्य का मित्र और शत्रु है मन को जीतो और सुखी रहो।
कॉलेज पिछले 1 साल से गुरुदेव चिन्मयानंद की 108 वीं जयंती वर्ष मना रहा है। इस उपलक्ष में कॉलेज द्वारा एक माह के लिए सफाई पखवाड़ा मनाया गया, गीता ज्ञान का आज के दौर में क्या उपयोग है इस विषय पर छात्र-छात्राओं के साथ विचार गोष्ठी की गई, भारतीय संत महात्माओं और विदुषियों के नाटकों का मंचन किया गया। इसी श्रृंखला में स्वामी स्वरूपानंद जी का चिन्मय डिग्री कॉलेज में आगमन हुआ है।
एकेडमिक ब्लॉक के प्रवेश द्वार पर डॉ. पीके शर्मा, सुश्री रागिनी, आशी और अंजलि यादव द्वारा पूर्णकुंभ के साथ स्वामी जी का स्वागत किया गया। स्वामी स्वरूपानंद, स्वामी यतीश्वरानंद, ब्रह्मचारिणी सत्या ब्रह्मचारिणी सुदिप्ती , सचिव प्रोफेसर इंदु मेहरोत्रा एवं प्राचार्य डॉ. आलोक अग्रवाल ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
महाविद्यालय की छात्रा आशी अंजलि विप्रा सुरभि ज्योति अनुष्का एवं प्राची द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गईI विद्यार्थियों द्वारा गोस्वामी तुलसीदास जी एवं सूरदास जी के जीवन पर आधारित नाटक प्रस्तुत किया गयाI तनीषा एवं ग्रुप ने रघुपति राघव राजा राम भजन प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया।
इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर आलोक अग्रवाल ने कहा की स्वामी जी का नेतृत्व और मार्गदर्शन हमेशा हमारे महाविद्यालय को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक उत्कृष्ट स्थान पर पहुंचने में मददगार रहेगा Iस्वामी जी का आगमन महाविद्यालय परिवार के सदस्यों में एक ऊर्जा का संचार करता है और उनके आशीर्वचनों से हमारा मार्ग प्रशस्त हुआ है
महाविद्यालय के अध्यक्ष रिटायर्ड कर्नल राकेश सचदेवा ने कहा कि गुरु परंपरा ही हमारी धरोहर है एवं भारतीय ज्ञान प्रणाली एक संरक्षित प्रणाली है जिसके जरिए ज्ञान एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक हस्तांतरित होता है
स्वामी स्वरूपानंद ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि हमें हर परिस्थिति में अपने मन की शक्ति से स्वयं को उन्नत करना चाहिए क्योंकि मन स्वयं का मित्र भी है और शत्रु भी I
कार्यक्रम के अंत में डॉ. मधु शर्मा ने महाविद्यालय में आये सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया Iकार्यक्रम में यशोधन शाह हेमंत कुमार अरोड़ा अशोक शास्त्री अशोक पालीवाल हर्ष गोयल आमोद चौधरी राधिका नागरथ आदि शामिल थे।

By admin