देहरादून। ऊर्जा और संसाधन क्षेत्र परिवर्तनकारी दौर से गुजर रहे हैं। ऊर्जा क्षेत्र का प्रदर्शन, बुनियादी ढांचे, विशेष रूप से बिजली वितरण और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए सरकार द्वारा बजट आवंटन में वृद्धि से काफी प्रभावित है। सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) से बड़े पैमाने पर विभिन्न पहलों के निष्पादन में तेजी आई है। प्रधानमंत्री सूर्याेदय योजना और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए प्रोत्साहन जैसी योजनाएं उल्लेखनीय रूप से निवेश को बढ़ावा दे रही हैं। इसके अलावा, प्रोडक्ट-लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना के ज़रिये घरेलू विनिर्माण पर सरकार के ज़ोर और चीन की आपूर्ति श्रृंखला पर निर्भरता कम करने को जोखिम मुक्त करने की दिशा में हो रहे बदलाव से ऊर्जा की मांग बढ़ रही है।
इन नीतिगत उपायों के अलावा, इस क्षेत्र को बढ़ती आबादी, तेज शहरीकरण और औद्योगिक सुधार से प्रेरित ऊर्जा की बढ़ती मांग से भी लाभ हो रहा है। पिछले कुछ वर्षों में स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता में तेज़ी से वृद्धि हुई है, जिसने वित्त वर्ष ‘16 से वित्त वर्ष ‘23 के बीच 15.4 प्रतिशत की सीएजीआर दर्ज की है। (स्रोत: नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए), आईबीईएफ, ग्रीनपीस इंडिया)
भारत स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के लिहाज से वैश्विक स्तर पर चौथे स्थान पर है। साथ ही, सौर तथा पवन ऊर्जा का भारत की कुल नवीकरणीय क्षमता में 50 प्रतिशत से अधिक योगदान है। कुल उत्पादन में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी 2030 तक 18 प्रतिशत से बढ़कर 44 प्रतिशत हो जाने की उम्मीद है, जबकि ताप (थर्मल) ऊर्जा की हिस्सेदारी 78 प्रतिशत से घटकर 52 प्रतिशत रह जाएगी। (स्रोत: इन्वेस्ट इंडिया, बीपी स्टैटिस्टिकल रिव्यु वर्ल्ड एनर्जी 2020, सीईए, अखबारों में छपे लेख, विद्युत मंत्रालय, आईएचए, आईबीईएफ)
टाटा एसेट मैनेजमेंट के फंड मैनेजर, सतीश मिश्रा ने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र में दीर्घकालिक वृद्धि की संभावना है, जिसे मज़बूत घरेलू मांग, सक्रिय सरकारी पहलों और विश्व के नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बढ़ने से बल मिलेगा। नवीकरणीय क्षमता, विशेष रूप से सौर तथा पवन में, उल्लेखनीय रूप से बढ़ने के साथ-साथ पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस जैसे पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की स्थिर मांग के साथ, यह क्षेत्र संतुलित विस्तार के लिए तैयार है। यह वृद्धि औद्योगिक और आवासीय क्षेत्र की खपत में वृद्धि से प्रेरित है, जो ऊर्जा क्षेत्र को भारत की भावी अर्थव्यवस्था के प्रमुख चालक के रूप में स्थापित करती है। टाटा रिसोर्सेज एंड एनर्जी फंड ने अपने ऊर्जा-केंद्रित निवेशों के मूल्यवर्द्धन के लिए रसायन, धातु और खनन जैसे आर्थिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में निवेश किया है।