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देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को खटीमा स्थित शहीद स्थल पर शहीदों की मूर्तियों पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की और शहीदों के परिजनों को शॉल भेंट कर सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य आन्दोलनकारियों के सपनों के अनुरूप विकसित उत्तराखण्ड बनाना हमारा लक्ष्य है।  हमारे बेहतर भविष्य के लिये इन महान आत्माओं ने अपना वर्तमान और भविष्य दोनों कुर्बान किया है, उत्तराखण्ड की जनता इन वीरों की सदैव ऋणी रहेगी। उन्होंने कहा कि इन महान लोगों ने स्वयं का बलिदान इसलिए दिया था कि उत्तराखंड अलग राज्य बनकर ही सच्चे अर्थों में उनके सपनों को पूरा कर सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वे स्वयं एक आंदोलनकारी होने के नाते आंदोलनकारियों के परिवार की पीड़ा समझ सकते है। खटीमा गोलीकांड को याद कर आज भी खटीमा वासियों सहित पूरे उत्तरखण्ड के लोगों का दिल सहम जाता है। पृथक राज्य निर्माण के लिए सबसे पहली शहादत खटीमा की धरती पर दी गई थी और इस शहादत के फलस्वरूप हम पृथक राज्य के रूप में अपनी अलग पहचान बना पाएं हैं, जो खटीमावासियों के लिए गर्व की बात है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा एक-एक पल  राज्य आंदोलनकारियों के सपनों का उत्तराखंड बनाने के लिए समर्पित है। देवभूमि के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक विकास की धारा पहुंचाने के लिए भी हम प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सख्त नकल विरोधी कानून लागू किया है, जिसमे अब युवाओं की योग्यता, प्रतिभा और क्षमता को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता।
मुख्यमंत्री ने खटीमा गोलीकांड की 30वीं बरसी पर अपना बलिदान देने वाले उत्तराखंड के महान सपूत स्व. भगवान सिंह सिरौला, स्व. प्रताप सिंह , स्व. रामपाल, स्व. सलीम अहमद, स्व. गोपीचंद, स्व. धर्मानन्द भट्ट तथा स्व. परमजीत सिंह को नमन करते हुए कहा कि 1 सितंबर, 1994 को हुए खटीमा गोलीकांड का दर्द हम कभी नहीं भूल सकते है। वे सभी उत्तराखंड का विकास और उत्थान चाहते थे, विश्वास था कि उत्तराखंड अलग राज्य बनकर ही सच्चे अर्थों में उनके सपनों को पूरा कर सकता है। इन महान आत्माओं के बलिदान और उनके त्याग को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम सभी मिलकर उनके सपनों का उत्तराखंड बनाएं। हमारी सरकार पूरी प्रतिबद्धता के साथ राज्य आंदोलनकारियों के आदर्शों और उनके सपनों को साकार करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य आन्दोलन में नारी शक्ति की भी बड़ी भूमिका रही है। नारीशक्ति को नमन करते हुए हमारी सरकार ने महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण’ लागू करने का ऐतिहासिक कार्य भी किया है, वहीं दूसरी ओर, शहीद आंदोलनकारियों के परिवारों को प्रतिमाह 3000 रूपए पेंशन भी दी जा रही है। जबकि जेल गए, घायल और सक्रिय आंदोलनकारियों को क्रमशः 6000 और 4500 रूपए प्रतिमाह पेंशन दी जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों के अधिकतम दो बच्चों को स्कूलों और कॉलेजों में निःशुल्क शिक्षा, सरकारी बसों में निःशुल्क यात्रा और उनके आश्रितों को पेंशन की सुविधा भी प्रदान की गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पृथक राज्य की परिकल्पना में हमारे प्रदेश की डेमोग्राफी संरक्षित रखने की चिंता भी शामिल थी। हमारी सरकार देवभूमि उत्तराखंड की डेमोग्राफी को बचाए रखने पर लगातार कार्य कर रही है। हमने सख्त धर्मान्तरण विरोधी कानून लागू करने के साथ ही अवैध अतिक्रमण को हटाकर 5000 एकड़ सरकारी जमीन को लैंड जिहाद से मुक्त करवाया है। इसके साथ ही प्रदेश में सुख, शांति और समानता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से दंगा रोधी कानून और समान नागरिक संहिता लागू करने का ऐतिहासिक कार्य भी हमारी सरकार ने ही किया है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष नीति आयोग द्वारा जारी सतत् विकास लक्ष्य की रैंकिंग में उत्तराखंड को पूरे देश में पहला स्थान प्राप्त हुआ है जो राज्य के विकास के प्रति हमारे प्रयासों को दर्शाता है। कार्यक्रम में सांसद अजय भट्ट ने सभी शहीदों एवं आन्दोलनकारियों को नमन करते हुए  आंदोलनकारियों को 10 प्रतिशत के क्षैतिज आरक्षण के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह  धामी व उत्तराखंड सरकार का आभार व्यक्त किया । उन्होंने कहा कि शहीद आंदोलनकारी  किसी परिवार का नहीं बल्कि राज्य एवं देश की अनमोल धरोहर हैं। कार्यक्रम में विधायक गोपाल सिंह राणा, शिव अरोड़ा, भुवन कापड़ी,भाजपा जिलाध्क्ष कमल जिन्दल, उत्तराखंड   मंडी अध्यक्ष अनिल कपूर डब्बू, दर्जा मंत्री उत्तम दत्ता,राजपाल सिंह,पूर्व सांसद महेंद्र सिंह पाल,मण्डी अध्यक्ष नन्दन सिंह खड़ायत,काशी सिंह ऐरी ,दान सिंह रावत,रमेश जोशी उर्फ रामू भाई, संतोष अग्रवाल, विवेक सक्सेना,जिलाधिकारी उदयराज सिंह, एसएसपी मन्जूनाथ टीसी, मुख्य विकास अधिकारी मनीष कुमार, अपर जिलाधिकारी अशोक जोशी ,पंकज उपाध्याय, उप जिलाधिकारी रवीन्द्र सिंह बिष्ट, सहित क्षेत्रीय जनता आदि उपस्थित थी।

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