देहरादून। जीएसके ने आज शिंगल्स के प्रति जागरूकता के लिए नया कैंपेन लॉन्च किया। इस कैंपेन में सदी के महानायक अमिताभ बच्चन एवं प्रतिष्ठित अभिनेता मनोज पाहवा चिकन पॉक्स और शिंगल्स के बीच के वैज्ञानिक संबंधों के बारे में विस्तार से समझाते हुए नजर आएंगे। कैंपेन फिल्मों में शिंगल्स के बारे में चर्चा कर रहे दो दोस्तों के बीच की सामान्य बातचीत को ही केंद्र में रखा गया है। इसमें डायबिटीज से पीड़ित लोगों में शिंगल्स की अधिक आशंका के बारे में भी विमर्श किया गया है।
इस अभियान को लेकर मनोज पाहवा ने कहा कि मैं उस आयु वर्ग में आता हूं, जिसमें शिंगल्स होने का खतरा रहता है। जीएसके के शिंगल्स जागरूकता अभियानों के माध्यम से मैंने इस दर्दभरी बीमारी और इससे जुड़े खतरों के बारे में काफी कुछ जाना है। मैंने स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं का सामना किया है और इस बात को अच्छी तरह से समझता हूं कि संक्रामक बीमारियों से ग्रस्त होने पर सामान्य एवं सक्रिय जीवन जी पाना कितना मुश्किल हो जाता है। मैं लोगों को शिंगल्स के कारण जानने और बचाव के महत्व के बारे में शिक्षित करने के इस अभियान का हिस्सा बनकर गर्व का अनुभव कर रहा हूं। मैं 50 साल से अधिक उम्र के लोगों को प्रोत्साहित करना चाहूंगा कि अपने डॉक्टर से शिंगल्स एवं इससे बचाव के तरीकों के बारे में बात करें।
किसी व्यक्ति को चिकनपॉक्स हुआ हो, तो ठीक होने के बाद भी इसका कारण बनने वाले वायरस शरीर में निष्क्रिय अवस्था में पड़े रहते हैं और इन्हीं वायरस के फिर सक्रिय होने से शिंगल्स की समस्या होती है। ऐसे लोग जिन्हें पहले चिकनपॉक्स हो चुका हो और अब वे डायबिटीज का शिकार हैं, तो उनमें शिंगल्स का खतरा 40 प्रतिशत ज्यादा रहता है। खून में ग्लूकोज की ज्यादा मात्रा यानी हाई ब्लड शुगर से इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है और जब इम्यून सिस्टम कमजोर होता है तो चिकनपॉक्स के वायरस के पुनरू सक्रिय होने और शिंगल्स होने का खतरा बढ़ जाता है।
जीएसके की पेशेंट एम्पावरमेंट हेड विज्ञेता अग्रवाल ने कहा कि 2023 का एपीआई-इप्सॉस सर्वे दिखाता है कि यहां तक कि जिन लोगों को शिंगल्स हो चुका है, उन्हें भी अपनी इस दर्दभरी बीमारी का कारण नहीं पता होता है। यह जरूरी है कि 50 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को शिंगल्स और इससे बचाव के बारे में पता हो। हम शिंगल्स होने के वैज्ञानिक कारणों और चिकनपॉक्स एवं शिंगल्स के बीच के संबंधों को सामान्य तरीके से समझाना चाहते हैं। अमिताभ बच्चन में देश के हर कोने के लोगों से जुड़ने की अद्भुत क्षमता है। हमें विश्वास है कि कैंपेन में उनके होने से हमें ज्यादा से ज्यादा लोगों, विशेष रूप से बड़ी उम्र के लोगों तक पहुंचने और उन्हें शिंगल्स एवं इससे बचाव के तरीकों के बारे में अपने डॉक्टर से सलाह लेने के लिए प्रेरित करने में मदद मिलेगी।’
द स्मॉल बिग आइडिया की इकाई ब्लिट्जक्रेग के सह-संस्थापक एवं सीईओ हरिकृष्णन पिल्लई ने कहा कि इस अभियान में दो कैंपेन फिल्में शामिल हैं। एक फिल्म में दो बुजुर्ग दोस्त स्कूली दिनों को याद करते हुए चिकनपॉक्स एवं शिंगल्स के बीच के संबंध को स्थापित करते नजर आएंगे, वहीं दूसरी फिल्म में दोनों दोस्तों के बीच के गहरे संबंधों एवं इस तथ्य पर जोर दिया गया है कि डायबिटीज से ग्रसित लोगों में शिंगल्स का खतरा ज्यादा होता है। ‘ये साइंस है’ कैंपेन 50 साल और उससे ज्यादा उम्र के लोगों को प्रोत्साहित करता है कि वे शिंगल्स एवं इससे बचाव के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें। इन फिल्मों से निकलने वाला संदेश स्पष्ट एवं दिमाग में बस जाने वाला है।
निर्देशक आर. बाल्की ने इस फिल्म के रचनात्मक पहलू पर चर्चा करते हुए कहा कि शिंगल्स ऐसी बीमारी है, जिसके बारे में ज्यादातर लोगों के मन में भ्रम की स्थिति है। सबसे बड़ी चुनौती शिंगल्स और चिकनपॉक्स के बीच के संबंध को आसानी से समझ में आने वाले एवं रोचक तरीके से सबके सामने लाना था। द स्मॉल बिग आइडिया ने जिस तरह से साधारण शब्दों में मजबूत संदेश दिया है, उससे मैंने तुरंत एक जुड़ाव अनुभव किया। इस फिल्म के मामले में रचनात्मक से ज्यादा संदेश की स्पष्टता मायने रखती है।
इन कैंपेन फिल्मों को यूट्यूब (मोबाइल एवं कनेक्टेड टीवी), गूगग डिस्प्ले, मेटा, चुनिंदा ओटीटी प्लेटफॉर्म्स, पेटीएम, गूगल पे और सामान्य मनोरंजन चौनलों (जीईसी), मूवी एवं हिंदी एवं क्षेत्रीय भाषाओं के समाचार चौनलों समेत विभिन्न प्रकार के टीवी चौनलों पर प्रसारित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, इस कैंपेन के लिए टेलीविजन के लोकप्रिय क्विज शो कौन बनेगा करोड़पति (केबीसी) के साथ साझेदारी भी की गई है।