-प्लास्टिक सर्जरी और आर्थोपेडिक सर्जरी में आधुनिक तकनीकों पर हुई चर्चा
देहरादून: देश भर के लोगों को आधुनिक उपचार उपलब्ध कराने की अपोलो की प्रतिबद्धता के तहत इन्द्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स नई दिल्ली ने सहारनपुर में एक सम्मेलन का आयोजन किया, जहां प्लास्टिक सर्जरी की आधुनिक तकनीकों और आर्थोपेडिक्स में हुई प्रगति पर रोशनी डाली गई। सम्मेलन का नेतृत्व डॉ कुलदीप सिंह (सीनियर कन्सलटेन्ट, प्लास्टिक एवं रीकस्ट्रक्टिव सर्जरी, इन्द्रप्रस्थ अपोलो हॉस्प्टिल्स) और डॉ यतिन्दर खरबंदा (सीनियर कन्सलटेन्ट, आर्थोपेडिक्स एवं जॉइन्ट रिप्लेसमेन्ट सर्जरी, अपोलो हॉस्पिटल्स) ने किया। भारत में बढ़ती आय और जागरुकता के मद्देनज़र सम्मेलन का उद्देश्य रीकन्स्ट्रक्टिव एवं एस्थेटिक प्रक्रियाओं के विकास की क्षमता और आर्थोपेडिक्स सर्जरी की आधुनिक तकनीकों पर रोशनी डालना था।
डॉ कुलदीप सिंह ने प्लास्टिक एवं रीकस्ट्रक्टिव सर्जरी की आधुनिक तकनीकों और मरीज़ पर इनके बदलावकारी परिणामों की बात करते हुए इस क्षेत्र में हुई प्रगति के बारे में बताया। उन्होंने विशेषज्ञ सर्जनों द्वारा अपनाए जाने वाले नैतिक मानकों, सुरक्षा नियमों, आधुनिक तकनीकों के बारे में भी जानकारी दी। डॉ यतिन्दर खरबंदा ने घुटनांं के आथ्राइटिस पर बात करते हुए कहा कि ऐसे ज़्यादातर मामलों का प्रबन्धन वज़न कम कर मांसपेशियों को मजबूत बनाने वाले व्यायाम एवं सक्रिय जीवनशैली अपनाकर किया जा सकता है। गंभीर मामलों में समय रहते हाफ या फुल जॉइन्ट रिप्लेसमेन्ट (आंशिक या पूर्ण घुटना प्रत्यारोपण) (पारम्परिक या रोबोटिक तरीकों से) करना चाहिए, ताकि मरीज़ बिना दर्द के आराम से अपने रोज़मर्रा के काम कर सके और सक्रिय जीवन जी सके। हाफ जॉइन्ट रिपलेसमेन्ट में छोटा चीरा लगाया जाता है, इसमें मरीज़ जल्दी ठीक होता है। साथ ही आज के दौर में सर्जरी में रोबोटिक के इस्तेमाल से प्रक्रिया में सटीकता बढ़ी है और रोबोटिक सर्जरी के बाद जॉइन्ट बेहतर तरीके से काम करता है और लम्बा चलता है।
कॉस्मेटिक सर्जरी के बारे में बताते हुए डॉ कुलदीप सिंह (सीनियर कन्सलटेन्ट, प्लास्टिक एण्ड रीकस्ट्रक्टिव सर्जरी) ने कहा, ‘‘हमें गर्व है कि हम एस्थेटिक ब्यूटी प्रक्रियाओं में मरीज़ों को सबसे आधुनिक और मिनिमल इनेवेसिव तकनीकें उपलब्ध करा रहे हैं। हल्का टचअप हो या बड़ा रीकस्ट्रक्शन, हम आधुनिक टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए नैतिकता एवं सुरक्षा का अनुपालन करते हैं। हम चाहते हैं कि हर मरीज़ न सिर्फ खूबसूरत दिखे बल्कि उनका आत्मविश्वास भी लौट आए। हम सिर्फ सर्जरी पर ही ध्यान नहीं देते, बल्कि मरीज़ की पूरी यात्रा में उनका साथ निभाते हैं। हम उन्हें हर ज़रूरी सहयोग, मार्गदर्शन और जानकारी प्रदान करते हैं, ताकि वे सोच-समझ कर फैसला लें और उन्हें उत्कृष्ट परिणाम मिलें। मरीज़ के सशक्तीकरण और समग्र कल्याण को प्राथमिकता देते हुए हम उनके जीवन के हर पहलु को बेहतर बनाना चाहते हैं।’
डॉ यतिन्दर खरबंदा (सीनियर कन्सलटेन्ट, आर्थोपेडिक एवं जॉइन्ट रिपलेसमेन्ट सर्जरी) ने कहा, ‘‘दुनिया भर में लाखों लोग घुटनों के आथ्राइटिस से पीड़ित हैं। हालांकि बहुत से लोगों को वज़न कम करने, व्यायाम एवं सक्रिय जीवनशैली अपनाने से फायदा मिलता है। जिन लोगों को सर्जरी की ज़रूरत होती है, उन्हें दर्द से राहत पाने के लिए समय पर इलाज कराना चाहिए। हाफ जॉइन्ट रिपलेसमेन्ट (आंशिक घुटना प्रत्यारोपण) इसके लिए मिनिमल इनवेसिव तरीका है, जिसमें मरीज़ जल्दी ठीक हो जाता है और सक्रिय जीवनशैली के साथ खेल, योग एवं रोज़मर्रा की अन्य गतिविधियों भी आराम से कर पाता है। वहीं टोटल नी रिप्लेसमेन्ट (पूर्ण घुटना प्रत्यारोपण) एक बदलावकारी प्रक्रिया बनी हुई है, और मरीज़ों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार ला रही है। इसी तरह हिप एवं नी रिप्लेसमेन्ट (कूल्हे और घुटना प्रत्यारोपण) में रोबोटिक सर्जरी इम्प्लान्ट को सटीक बनाकर जॉइन्ट्स के फंक्शन्स को और भी बेहतर बना देती है। रोबोटिक सिस्टम, सर्जन को विज़ुअल फीडबैक देता है, जिससे सर्जरी की शुरूआत से लेकर पूरी प्रक्रिया में सटीकता कई गुना बढ़ जाती है। ये आधुनिक तकनीकों के साथ मरीज़ों को आधुनिक आर्थोपेडिक देखभाल उपलब्ध कराने, उनके कल्याण को सुनिश्चित करने तथा जॉइन्ट्स के फंक्शन्स को बेहतर बनाकर मरीज़ को सक्रिय जीवनशैली प्रदान करने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।’